Saturday, 11 February 2017

बुरांस का फूल . ( burans ka phool )

बुरांस का फूल  लाल और सफ़ेद और गुलाबी रंग मैं पाया जाता है  लेक़िन लाल रंग का बुरांस सबसे ज्यादा लाभदयक और गुणकारी मन गया है। जहा  बुरांस का फूल  दिखने मैं ही अपने आप मैं  एक अलग छबि प्रकट करता है उसके साथ ही  मानव जाती के कई रोगों को दूर करने मैं भी काफी महतव पूर्ण मना  गया है।   बुरांस के फूल से हिर्दय  किडनी और लिबर और कई अन्य रोगों से  मुक्ति दिलाता है..  बुरांस  का  फूल को प्रयोग करने  के लिए आप  बुरांस के जूस का  भी प्रयोग  कर  सकते है. जोकि आजकल के टाइम पे मार्किट मैं बड़े आराम से मिल जाता है।
 बुरांस काफी गुणकारी चीज़ों से  भरपूर होता है.  इसलिए इसे प्रचीन काल से  आयुवेद मैं काफी महत्तपूर्ण स्थान दिया गया है. 





बुरांस का फूल नेपाल का राष्टीय फूल है और उत्ताखंड का राज्य बृक्ष हैं  आज भी गांव के पुराने लोग अपने गांव  मैं बुरांस की चटनी  बनाना  नहीं भूलते। वे  अभी भी इसका खूब प्रयोग करते है।   लोग बुरांस के गुलदस्ते तो बनाते ही हैं परन्तु इसकी चटनी जैम और जैली आदि बड़े चाव से खाते हैं।  














बुरांस को अंग्रेजी में ‘रोडोडेण्ड्रन’ कहते हैं जबकि वनस्पति विज्ञान में इसे ‘रोडोडेण्ड्रन पोंटिकम’ कहते हैं। यह शब्द वास्तव में लेटिन भाषा का है जिसमें रोडो का अर्थ ‘गुलाब’ तथा डेण्ड्रन का अर्थ ‘पेड़’ होता है बुरांस  की पत्तियां जैविक खाद बनाने में उपयोग होती है। बुरांश की लकड़ियां फर्नीचर, कृषि उपकरण आदि बनाने में काम आती है।बुराँश के पेड़ भारत के अलावा नेपाल, बर्मा, श्रीलंका, तिब्बत, चीन, जापान आदि देशों में पाये जाते है।



बुराँश का खिलना प्रसन्न्ता का द्योतक है। बुराँश का फूल यौवन और आशावादिता का सूचक है। प्रेम और उल्लास की अभिव्यक्ति है। बुराँश का फूल मादकता जगाता है। बुराँश का गिरना विरह और नश्वरता का प्रतीक है। बुराँश रहित जंगल कितने उदास और भावशून्य हो जाते है। इस पीडा़ को लोकगीतों के जरिये बखूबी महसूस किया जा सकता है।  बसन्त ऋतु में जंगल को लाल कर देने वाले इस फूल को देखकर नव विवाहिताओं को मायके और रोजी-रोटी की तलाश में पहाड़ से पलायन करने को अभिशप्त अपने पति की याद आ जाती है। अपने प्रियतम् को याद कर वह कहती है- ''अब तो बुरांश भी खिल उठा है, पर तुम नहीं आए।''

दुर्भाग्य से पहाड़ में बुराँश के पेड़ तेजी के साथ घट रहे हैं। अवैध कटान के चलते कई इलाकों में बुराँश लुप्त होने के कगार पर पहुॅच गया है। नई पौधंे उग नहीं रही है। जानकारों की राय में पर्यावरण की हिफाजत के लिए बुराँश का संरक्षण जरूरी है।













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