जय माँ सुरकंडा देवी यहाँ एक ऐशी जगह है जहा से हिमालय का एक अदभुत दिर्शय देखा जा सकता है . ईश मंदिर मैं आने से मन की हर एक इच्छा पूरी होती है. और साथ मैं कई सुनदर नजरो का भी आगमन होता है . यहाँ मंदिर उत्तराखंड के चम्बा से २० किलोमीटर दूर और कदूखाल से 1.5 तल से 3030 की मीटर उचाई पर है .यहाँ मंदिर गढ़वाल की एक अलग छबि पेश करता है यहाँ भक्तो की काफी लंबी कतार लगी रहती है माँ के एक जलक को पाने की। इस मंदिर मैं माँ सुरकंडा के साथ एक शिव मंदिर और एक हनुमान और काली माँ का मंदिर भी मौजूद है. मार्च और अप्रैल के महीने मैं यहाँ भक्तो की काफी भीड़ भाड़ देखि जाती है यहाँ का मौसम हमेशा बहुत ही आकर्षित करने वाला होता है. माँ सुरकंडा का यहाँ मंदिर हमेशा अपने भक्तो की देखभाल करने वाला मंदिर मन जाता है.
माँ सुरकंडा के इस जगह पे भक्तो के लिए रुकने के लिए धर्मसाला भी बनाया गया है जहा भक्त रुक के मंदिर के हर एक पूजा का हिसा बन सके और मंदिर के पुरे दर्शन कर सके। इस मंदिर की कहाँनी काफी पुराणी माँ सती से जुडी है। यहाँ से पहाड़ो के भी काफी अच्छे नाज़रे देखे जाते है इस मंदिर का एक उदारहण यहाँ भी है जहा सती की गर्दन गिरी थी जिस प्रकार चन्द्रबदनी देवी जहा उनके शारीर का निचला भाग और कुंजा देवी मैं ऊपर का भाग गिरा। ये तीनो मंदिर इस छेत्र के त्रिकोण है और एक दूसरे से अवलोकित भी है।
No comments:
Post a Comment